कोरोना वायरस के केस तेजी के साथ बढ़ रहे हैं। वर्तमान की स्थिति यह है कि कोविड 19 डेशबोर्ड के अनुसार देश में कोरोना के एक्टिव केसों की संख्या 3758 पहुंच गई हैं। वहीं, मध्यप्रदेश 3 नए केस के साथ 19 एक्टिव पेशेंट हैं। 19 मई को देश में सिर्फ 257 एक्टिव केस थे। वहीं, इंदौर में 22 मई को निजी लैब में दो मरीजों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। तब से यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है।
अब डॉक्टरों ने मरीजों में कोरोना के लक्षण नजर आने पर उनकी ट्रैवल हिस्ट्री भी पूछ रहे हैं। दरअसल, देश में सबसे अधिक 1400 कोरोना के केस केरल से सामने आए हैं। समर वेकेशन में बड़ी संख्या में लोग मध्य प्रदेश से घूमने के लिए केरल जाते हैं।
भोपाल के सीएमएचओ डॉ. प्रभाकर तिवारी ने कहा कि कोरोना वायरस का वैरिएंट JN.1 अभी वैरिएंट ऑफ इंट्रेस्ट है यानी इस पर नजर रखी जा रही है। यह ज्यादा खतरनाक नहीं है। लेकिन तेजी से फैलता है। मरीज में हल्के लक्षण नजर आते हैं और यह सीजन रोग की तरह 3 से 5 दिन में ठीक भी हो जाता है। ऐसे में मास्क पहनने और कोविड नियमों का पालन कर इसके स्प्रेड होने की रफ्तार धीमी की जा सकती है।
वहीं, गांधी मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ श्वांस रोग विशेषज्ञ डॉ. पराग शर्मा के अनुसार वायरस के रोकथाम के लिए अभी से कदम उठाने होंगे। अभी इसके जितने भी वैरिएंट भारत में मौजूद हैं, सभी वैरिएंट ऑफ इंट्रेस्ट हैं।
जितने ज़्यादा लोग वायरस से संक्रमित होंगे, उतनी ज़्यादा इसकी ताकत बढ़ेगी और यह नए-नए रूपों में बदलता जाएगा। इसलिए अभी से सतर्क रहना और बचाव करना जरूरी है।
केरल जैसी जांच हो तो एमपी में बढ़ सकते हैं केस
मध्यप्रदेश में अगर केरल की तरह कोरोना की जांच शुरू कर दी जाए, तो संक्रमितों की संख्या कई गुना बढ़ सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस समय जिन मरीजों में वायरल जैसे लक्षण दिख रहे हैं, उनमें से कई कोरोना पॉजिटिव हो सकते हैं। केरल में लक्षण दिखते ही RT-PCR जांच की जा रही है, इसी वजह से वहां कुल मामलों की संख्या 1400 तक पहुंच गई है। वहीं मध्यप्रदेश की स्थिति अलग है- यहां सरकारी अस्पतालों में RT-PCR जांच की सुविधा नहीं है। केवल निजी लैब में यह जांच हो रही है, जिसकी लागत 1200 से 1500 रुपए तक है।
एम्स भोपाल ने कहा- इंदौर से कोई सैंपल नहीं आया
इंदौर में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच जिला स्वास्थ्य विभाग ने दावा किया था कि पॉजिटिव मरीजों के सैंपल जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए एम्स भोपाल भेजे गए हैं, ताकि यह पता चल सके कि प्रदेश में कोरोना का कौन-सा वैरिएंट एक्टिव है।
लेकिन जब इस संबंध में एम्स भोपाल से संपर्क किया गया, तो वहां के अधिकारियों ने साफ कहा कि अब तक इंदौर से कोई भी सैंपल जांच के लिए नहीं भेजा गया है।
कोरोना वायरस हर साल आएगा, सतर्क रहना जरूरी
एम्स के निदेशक डॉ. अजय सिंह ने बताया कि कोरोना वायरस के नए वैरिएंट हर साल इस मौसम में फिर से आएंगे। इनसे पूरी तरह बचना संभव नहीं है, लेकिन सतर्क रहने की जरूरत जरूर है।
उन्होंने कहा, “जब भी आप भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर जाएं तो मास्क जरूर पहनें। अगर दो से तीन दिन तक बुखार या सर्दी-जुकाम जैसे लक्षण रहें या सांस लेने में दिक्कत हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। अन्यथा बेवजह घबराने की जरूरत नहीं है।”
डॉ. सिंह ने साफ किया कि यह वक्त डरने का नहीं, बल्कि सावधानी बरतने का है ताकि संक्रमण को रोका जा सके।
गले का इन्फेक्शन बढ़ा, बोलने में हो रही दिक्कत
हमीदिया अस्पताल के नाक, कान और गला विशेषज्ञ डॉक्टर यशवीर जेके बताते हैं कि गले के इन्फेक्शन के मरीज बढ़ रहे हैं। ये आम बात है जब गर्मी के बाद बारिश जैसा मौसम होता है।
इस बीमारी की शुरुआत गले में खराश और दर्द से होती है। अगर समय पर इलाज नहीं हुआ तो गले की समस्या बढ़ जाती है और बोलने में भी तकलीफ होती है।
इसलिए गले में कुछ भी परेशानी हो तो जल्दी डॉक्टर के पास जाएं।
मरीज मास्क पहनने में झिझक रहे, डॉक्टर ने जताई चिंता
श्वांस रोग विशेषज्ञ डॉ. शर्मा के मुताबिक, ओपीडी में आने वाले 15 से 20 फीसदी मरीजों में कोविड जैसे लक्षण दिख रहे हैं। इन्हें मास्क पहनने की सलाह दी जाती है, लेकिन उनमें से सिर्फ एक-दो मरीज ही अगली बार फॉलोअप पर मास्क लगाकर आते हैं।
जब कारण पूछा जाता है तो कुछ कहते हैं कि लोग उन्हें अलग नजर से देखते हैं, जिससे उन्हें शर्म आती है। कई मरीज गर्मी की वजह से मास्क नहीं पहन पाते हैं। डॉक्टर इसे बहुत चिंता की बात बता रहे हैं।