CDS जनरल अनिल चौहान ने पाकिस्तान के साथ संबंधों को लेकर कहा कि अब भारत बिना किसी रणनीति के कोई काम नहीं करता। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ कूटनीतिक संबंध कायम रखने का दौर खत्म हो चुका है।
शांगरी-ला डायलॉग कार्यक्रम में CDS चौहान ने याद दिलाया कि कैसे पीएम मोदी ने अपने पहले शपथ ग्रहण में पाकिस्तान के तत्कालीन PM नवाज शरीफ को आमंत्रित किया था। चौहान ने कहा कि तालियां बजाने के लिए दोनों हाथ चाहिए होते हैं, लेकिन अगर बदले में सिर्फ दुश्मनी ही मिले तो दूरी बनाए रखना एक समझदारी भरा फैसला है।
CDS चौहान ने कहा कि जब भारत को आजादी मिली थी, तब पाकिस्तान सामाजिक विकास, GDP या फिर प्रति व्यक्ति आय जैसे कई मामलों में भारत से आगे था। लेकिन अब स्थिति बदल गई है। अब भारत, पाकिस्तान से हर मोर्चे पर आगे है। जनरल चौहान ने कहा कि यह बदलाव किसी संयोग की वजह से नहीं, बल्कि सोची-समझी रणनीति का नतीजा है।
CDS बोले- जंग में भारत ने खुद की टेक्नोलॉजी पर भरोसा किया
CDS जनरल अनिल चौहान ने सिंगापुर में शांगरी-ला डायलॉग के दौरान 'भविष्य के युद्ध' विषय पर बात की। उन्होंने कहा कि अब युद्ध पहले जैसे नहीं रह गए हैं। अब युद्ध जमीन, हवा, समुद्र के अलावा साइबर और अंतरिक्ष जैसे नए क्षेत्रों में भी लड़े जा रहे हैं।
जनरल चौहान ने ऑपरेशन सिंदूर का उदाहरण देते हुए बताया कि भारत ने इस दौरान अपनी स्वदेशी तकनीक का बेहतरीन इस्तेमाल किया। उन्होंने खासतौर पर 'आकाश' मिसाइल सिस्टम और देश में बना वायु रक्षा नेटवर्क का जिक्र किया, जिसमें कई रडार सिस्टम को जोड़कर एक मजबूत सुरक्षा ढांचा तैयार किया गया। भारत ने यह सब विदेशी कंपनियों पर निर्भर हुए बिना किया।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने भले ही चीनी या पश्चिमी सैटेलाइट तस्वीरों का इस्तेमाल किया हो, लेकिन भारत ने खुद की टेक्नोलॉजी पर भरोसा किया। भारत ने युद्ध के लिए जरूरी नेटवर्क और रडार प्रणाली को खुद से खड़ा किया और यह हमारी बड़ी कामयाबी रही।
'युद्ध में गलत जानकारी और अफवाहें बड़ी चुनौती'
CDS चौहान ने कहा कि युद्ध में आजकल एक और चुनौती है- गलत जानकारी और अफवाहें। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी हमारे सैनिकों को काफी समय फर्जी खबरों का मुकाबला करने में देना पड़ा। उन्होंने बताया कि भारत की रणनीति यह रही कि बिना जल्दबाजी किए, पक्के तथ्यों के साथ अपनी बात रखी जाए।
उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि ऑपरेशन के शुरुआती दिनों में दो महिला अफसर मीडिया से बात कर रही थीं क्योंकि उस वक्त सीनियर अफसर वास्तविक ऑपरेशन में व्यस्त थे।
साइबर युद्ध पर भी उन्होंने कहा कि भले ही दोनों देशों ने एक-दूसरे पर साइबर हमले किए हों, लेकिन भारत की सैन्य प्रणालियां इंटरनेट से जुड़ी नहीं होतीं, इसलिए वो सुरक्षित रहीं।
उन्होंने बताया कि युद्ध के बाद भारत तुरंत पीछे हट गया, क्योंकि लंबे समय तक सेना को तैनात रखना आर्थिक रूप से भारी पड़ता है और इससे विकास प्रभावित होता है।